हर साल बढ़ती उम्र को मिली दुआओंको
संभालकर के रख देती हु मैं एक सन्दुक में
जैसे ढलती हुई शाम की संदली धुप को
अपनी शाखोंमे छुपाने की कोशिश करता हुआ
मेरे आँगन का पेड़
कुछ ग्रीटिंग कार्ड है
मेरा नाम लिखा है ऊपर
निचे किसी और की लिखी
कुछ पंक्तिया हैं
मुझे बधाई देती हुई
सबसे निचे लिखे हुए नाम के साथ
रख लिए है अपने समझ के
मैंने मेरे सन्दुक में
कुछ दुआए सरपे हाथ रख कर दी थी
वो बुजुर्ग थे और मैंने पाँव छूए थे उनके
वो छुअन भी जतन करना चाहती हू
जन्मदिन पर मिले उपहारोंके साथ
हर साल मां जन्मदिन पर
कपडे खरीद कर लाती हैं
वो जतन नही किए कभी
बारबार पेहनके पुराने कर देती हुं
हर बार, हर साल
क्योंकी मां हर साल नया कपडा दिलाती हैं
सन्दुकमें रखें बर्थ डे विश,
सरपर रखें हाथोंसे दिल में उतरी दुआए
वो कुछ चुनिंदा उपहार
संदली धूप बटोरता आंगन का पेड
सब कुछ नही संभाल पाता हैं
पत्तोंसे छनकर कुछ किरने बरस जाती हैं
आंगन में पत्तोंका ढेर भी लग जाता हैं हर शाम
उसके नीचे छुप जाता हैं
मां नें पुता हुआ वो आंगन का हिस्सा
पर मुझे पता हैं
मां हर दिन सुबह होते ही
आंगनमें झाडू लगाती हैं
मां नें फिलहाल ही नया ड्रेस खरीदके दिया हैं
वर्षा वेलणकर
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