तुम्हारा साथ
लुत्फ़ उठाने ज़िंदगीका
एक और साँस ली हैं
हैराँ हैं देख के यह मन्ज़र
ज़िंदगी तुमसे जो बाँट ली हैं
एक कोना आँगन का
एक टुकड़ा आसमान
एक घने पेड़ से टपका
सपना भी साथ ही हैं
पत्तोंसे झरती धूप हैं
बरसात में रिसता पानी
खुशियोंके गुल-गुंचे है
ग़मोंकीभी सौगात मिली है
हर एक पल, हर लम्हा
आगाज़ नए मौसम का
होंठोंके गुलोंसे पूछों
अश्कोंकी नवाजीश हीं है
ज़िंदगी तुमसे जो बाँट ली हैं
वर्षा वेलणकर
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